राज्य बीमा (SI) सम्पूर्ण जानकारी

राज्य बीमा योजना: राज्य कर्मचारियों के लिए एक व्यापक कल्याणकारी ढांचा

राज्य बीमा योजना राजस्थान सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए शुरू की गई एक ऐसी कल्याणकारी पहल है जो न केवल वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि उनके जीवन को जोखिमों से मुक्त करने में भी मदद करती है। यह योजना राज्य कर्मचारियों, पंचायत समिति और जिला परिषद के कर्मचारियों, और नियमित वर्कचार्ज कर्मचारियों के लिए एक मजबूत आर्थिक आधार तैयार करती है। इसके जरिए कर्मचारी नियमित बचत करते हैं और अपने भविष्य को सुरक्षित करने के साथ-साथ अपने परिवारों को भी वित्तीय संबल प्रदान करते हैं। इस लेख में हम राज्य बीमा योजना के हर पहलू को विस्तार से समझेंगे—इसका उद्देश्य, संचालन, लाभ, नियम, प्रीमियम दरें, बोनस, ऋण सुविधा, और अन्य सभी महत्वपूर्ण जानकारी जो पीडीएफ में दी गई है।

राज्य बीमा क्या है?

राज्य बीमा एक ऐसा अनुबंध है जो राज्य सरकार और इसके कर्मचारियों के बीच स्थापित होता है। इस अनुबंध के तहत बीमेदार (कर्मचारी) राज्य बीमा विभाग (बीमाकर्ता) को नियमित रूप से प्रीमियम का भुगतान करता है। बदले में, बीमेदार या उसके द्वारा नामित व्यक्ति को किसी विशेष घटना—जैसे मृत्यु—के घटित होने पर एक पूर्व निर्धारित राशि का भुगतान किया जाता है। इसके अलावा, सेवानिवृत्ति के समय बीमाधन और उस पर लागू बोनस की राशि भी दी जाती है। यह योजना राज्य कर्मचारियों के लिए एक वित्तीय सुरक्षा कवच की तरह काम करती है, जो उन्हें अप्रत्याशित परिस्थितियों में आर्थिक सहायता प्रदान करती है।

इसका मूल उद्देश्य कर्मचारियों को यह आश्वासन देना है कि उनके द्वारा की गई बचत उनके जीवन के विभिन्न चरणों में उनके लिए उपयोगी सिद्ध होगी। चाहे वह सेवानिवृत्ति के बाद का समय हो या उनके परिवार के लिए कोई आपात स्थिति, यह योजना हर परिस्थिति में उनकी मदद करती है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जो कर्मचारियों को वित्तीय स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाती है।

बीमाधन क्या है?

बीमाधन वह राशि है जो बीमा योजना में प्रवेश के समय बीमेदार की अगली जन्मतिथि पर उसकी आयु और उसके द्वारा दिए जाने वाले प्रीमियम के आधार पर तय की जाती है। यह राशि किसी विशेष घटना के घटित होने पर या पॉलिसी की परिपक्वता पर बीमेदार को दी जाती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई कर्मचारी 30 वर्ष की आयु में योजना में शामिल होता है और उसका मासिक प्रीमियम ₹2,200 है, तो उसकी आयु के लिए निर्धारित गुणांक के आधार पर उसका बीमाधन तय किया जाएगा। यह राशि कर्मचारी की वित्तीय योजना का आधार बनती है और उसे भविष्य में आर्थिक स्थिरता प्रदान करती है।

बीमाधन की गणना एक वैज्ञानिक और व्यवस्थित प्रक्रिया के तहत की जाती है, जिसे आगे विस्तार से समझाया जाएगा। यह सुनिश्चित करता है कि हर कर्मचारी को उसकी योगदान राशि के अनुरूप उचित लाभ मिले।

राज्य बीमा योजना क्या है?

राज्य बीमा योजना राज्य कर्मचारियों के जीवन पर जोखिम को कम करने और उनकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए शुरू की गई एक कल्याणकारी योजना है। यह योजना बचत को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ कर्मचारियों और उनके परिवारों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने का एक प्रभावी माध्यम है। इसके जरिए कर्मचारी अपने भविष्य के लिए एक मजबूत वित्तीय ढांचा तैयार कर सकते हैं, जो उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्हें आत्मनिर्भर बनाए रखता है।

यह योजना न केवल कर्मचारियों के लिए एक बीमा कवच है, बल्कि उनके परिवारों के लिए भी एक सुरक्षा जाल की तरह काम करती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी की असमय मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को बीमाधन की दोगुनी राशि और बोनस मिलता है, जो उनकी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करता है। इस तरह, यह योजना कर्मचारियों के जीवन को सुरक्षित और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

योजना किन नियमों के तहत लागू है?

राज्य बीमा योजना को राजस्थान सरकारी कर्मचारी बीमा नियम, 1998 के तहत संचालित किया जाता है। ये नियम योजना के सभी पहलुओं—जैसे प्रीमियम कटौती, लाभ वितरण, बोनस की गणना, और ऋण सुविधा—को नियंत्रित करते हैं। इससे पहले यह योजना 1953 के नियमों के तहत लागू थी, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव की जरूरत महसूस हुई। 1998 में नए नियम लागू किए गए, जो योजना को और अधिक प्रभावी, पारदर्शी, और कर्मचारी-केंद्रित बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए थे।

ये नियम कर्मचारियों के हितों की रक्षा करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि योजना का संचालन सुचारू रूप से हो। उदाहरण के लिए, नियमों में यह स्पष्ट किया गया है कि प्रीमियम की कटौती कब और कैसे होगी, और लाभ का भुगतान किन परिस्थितियों में किया जाएगा। इससे कर्मचारियों को योजना के प्रति विश्वास बढ़ता है।

योजना कब से और किन-किन कर्मचारियों पर लागू है?

राज्य बीमा योजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया गया है ताकि यह अधिक से अधिक कर्मचारियों तक पहुँच सके। इसका विस्तृत विवरण इस प्रकार है:

  1.  01.08.1943:योजना की शुरुआत तत्कालीन जयपुर रियासत के कर्मचारियों के लिए हुई। यह उस समय एक अभिनव कदम था, जिसने कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने की नींव रखी।
  2. 01.01.1954: राजस्थान राज्य के गठन के बाद, यह योजना राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों पर अनिवार्य रूप से लागू की गई। इससे योजना का दायरा व्यापक हुआ।
  3. 01.04.1989: पंचायत समिति और जिला परिषद के कर्मचारियों को इस योजना में शामिल किया गया। यह ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए एक बड़ा लाभ साबित हुआ।
  4. 01.04.1995: राज्य सरकार द्वारा नियमित किए गए वर्कचार्ज कर्मचारियों को भी योजना के तहत लाया गया। इससे अस्थायी कर्मचारियों को भी स्थायी लाभ मिलने शुरू हुए।
  5. 01.04.1998: सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों और राजस्थान सरकार के अधीन उपक्रमों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए यह योजना वैकल्पिक रूप से लागू की गई। इसके लिए शर्त यह थी कि संबंधित उपक्रम के 50% या अधिक कर्मचारी बीमा कराने के लिए सहमत हों। साथ ही, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के लिए भी यह वैकल्पिक रूप से लागू है।

इस तरह, योजना को समय के साथ विस्तारित किया गया, जिससे यह विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों तक पहुँच सकी। यह दर्शाता है कि सरकार का उद्देश्य अपने सभी कर्मचारियों को इस कल्याणकारी योजना का लाभ पहुँचाना है।

कर्मचारी कब बीमित होता है?

कर्मचारी के सेवा में प्रवेश करने के बाद दो वर्ष का परिवीक्षा काल पूरा होने पर वह राज्य बीमा योजना के तहत बीमित होता है। यह प्रक्रिया हर साल मार्च माह से शुरू होती है। उदाहरण के लिए, यदि कोई कर्मचारी जनवरी 2023 में सेवा में शामिल होता है, तो उसका परिवीक्षा काल जनवरी 2025 में पूरा होगा। इसके बाद, मार्च 2025 से उसके वेतन से प्रीमियम की पहली कटौती शुरू होगी।

यदि कर्मचारी के वेतन में वृद्धि होती है या बीमा की खंड-दर में बदलाव होता है, तो बढ़ी हुई दर पर प्रीमियम की कटौती अगले मार्च माह से लागू होती है। यह व्यवस्था कर्मचारी की आय में बदलाव को ध्यान में रखते हुए प्रीमियम को समायोजित करने में मदद करती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि बीमाधन और प्रीमियम का संतुलन बना रहे।

वर्तमान में प्रीमियम कटौती की दर क्या है?

राज्य सरकार के आदेश (क्रमांक प.13(21)वित्त/राजस्व/76, दिनांक 13.03.2020) के अनुसार, वर्तमान में प्रीमियम कटौती की दरें कर्मचारी के मूल वेतन के आधार पर निम्नलिखित हैं:

क्रम संख्या मूल वेतन (₹) मासिक प्रीमियम (₹)
1 22,000 तक 800
2 22,001 से 28,500 1200
3 28,501 से 46,500 2200
4 46,501 से 72,000 3000
5 अधिकतम 7000

ये दरें कर्मचारी की आय के अनुसार निर्धारित की गई हैं ताकि हर वेतन वर्ग के कर्मचारी इस योजना का लाभ उठा सकें। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन ₹35,000 है, तो उससे हर महीने ₹2,200 की कटौती होगी। यह राशि उसके बीमाधन को बढ़ाने में योगदान देती है।

क्या स्वयं को अधिक बीमाधन के लिए बीमित करवाया जा सकता है?

हाँ, कर्मचारी अपने वेतन खंड के लिए निर्धारित प्रीमियम की कटौती को अनिवार्य रूप से करवाने के बाद भी स्वेच्छा से अधिक बीमाधन के लिए बीमित हो सकता है। इसके लिए वह अपने वेतन खंड से अगले दो वेतन खंडों की दर पर प्रीमियम कटौती करवा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई कर्मचारी ₹28,501-46,500 के वेतन खंड में है और उसका प्रीमियम ₹2,200 है, तो वह ₹3,000 या ₹5,000 की दर पर कटौती करवा सकता है।

हालांकि, वेतन खंड 5 (72,000 से अधिक) में आने वाले कर्मचारी अधिकतम ₹7,000 प्रति माह तक की कटौती ही करवा सकते हैं। यह सुविधा कर्मचारियों को अपनी जरूरतों और भविष्य की योजना के अनुसार अधिक बचत करने का अवसर देती है। मान लीजिए, कोई कर्मचारी अपने बच्चों की शिक्षा या शादी के लिए अतिरिक्त राशि जमा करना चाहता है, तो वह इस विकल्प का उपयोग कर सकता है।

राज्य बीमा योजना से राज्य कर्मियों को क्या लाभ मिलते हैं?

इस योजना के तहत कर्मचारियों को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं, जो उनके जीवन के विभिन्न चरणों में उनकी मदद करते हैं। ये लाभ इस प्रकार हैं:

  1. परिपक्वता पर लाभ: पॉलिसी की परिपक्वता तिथि पर बीमेदार को बीमाधन के साथ-साथ बोनस की राशि दी जाती है। यह राशि कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद उसके लिए एक मजबूत वित्तीय आधार बनाती है।
  2. मृत्यु पर लाभ: यदि परिपक्वता से पहले बीमेदार की मृत्यु हो जाती है, तो उसके द्वारा नामित व्यक्ति को बीमाधन की दोगुनी राशि और बोनस का भुगतान किया जाता है। यह परिवार के लिए एक बड़ी राहत होती है।
  3. सेवा से अलग होने पर: यदि कोई कर्मचारी परिपक्वता से पहले सेवा से अलग हो जाता है और अधिस्थापन भुगतान का विकल्प चुनता है, तो उसे उसकी पॉलिसी अवधि के आधार पर अधिस्थापन राशि दी जाती है। यह राशि एक निर्धारित गुणांक के आधार पर तय की जाती है।

उदाहरण के लिए, यदि कोई कर्मचारी 20 साल तक योजना में योगदान देता है और फिर नौकरी छोड़ देता है, तो उसे उसकी जमा राशि और अवधि के आधार पर एक निश्चित राशि मिलेगी। यह उसे नई शुरुआत करने में मदद कर सकता है।

बीमाधन की गणना का आधार और प्रक्रिया:

बीमाधन की गणना एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत की जाती है। इसके लिए बीमेदार की योजना में प्रवेश के समय उसकी अगली जन्मतिथि पर आयु को आधार बनाया जाता है। इस आयु के लिए एक गुणांक निर्धारित किया गया है। इस गुणांक को बीमेदार द्वारा दिए जाने वाले मासिक प्रीमियम से गुणा करके बीमाधन तय किया जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी की आयु 35 वर्ष है और उसका मासिक प्रीमियम ₹3,000 है, तो 35 वर्ष के लिए निर्धारित गुणांक (मान लीजिए 50) को ₹3,000 से गुणा किया जाएगा। इस तरह, उसका बीमाधन ₹1,50,000 होगा। यदि बाद में प्रीमियम की दर बढ़ती है, तो अतिरिक्त बीमाधन की गणना भी इसी तरह की जाती है। यह प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष है, जिससे कर्मचारियों को उचित लाभ मिलता है।

विभाग द्वारा कितने प्रकार की पॉलिसी जारी की जाती हैं?

वर्तमान में राज्य बीमा विभाग केवल सावधि (एंडोमेंट) पॉलिसी जारी करता है। यह पॉलिसी एक निश्चित अवधि के लिए होती है, जिसके बाद कर्मचारी को बीमाधन और बोनस मिलता है। पहले सावधि पॉलिसी के अलावा आजीवन पॉलिसी भी जारी की जाती थी, लेकिन अब यह प्रचलन में नहीं है। सावधि पॉलिसी कर्मचारियों के लिए अधिक लोकप्रिय है क्योंकि यह उनकी सेवा अवधि के साथ बेहतर तालमेल रखती है।

सावधि बीमा पॉलिसी पर कितने प्रकार के बोनस देय हैं?

सावधि बीमा पॉलिसी पर चार प्रकार के बोनस दिए जाते हैं, जो इस प्रकार हैं:

  1. रिवर्शनरी बोनस: यह बोनस हर साल बीमा निधि के मूल्यांकन के आधार पर दिया जाता है। मूल्यांकन अवधि के अंत में राज्य सरकार द्वारा घोषित दर से यह बोनस प्रवृतमान पॉलिसियों के लिए लागू होता है। उदाहरण के लिए, 2015-16 के लिए सावधि पॉलिसी पर रिवर्शनरी बोनस की दर ₹90 प्रति हजार बीमाधन प्रति वर्ष थी, जबकि आजीवन पॉलिसी के लिए यह ₹112.5 प्रति हजार बीमाधन प्रति वर्ष थी।
  2. अंतिम बोनस: यदि किसी वर्ष रिवर्शनरी बोनस घोषित नहीं किया जाता, तो उस वर्ष की दर के आधार पर अंतिम बोनस दिया जाता है। यह एक अतिरिक्त लाभ की तरह काम करता है।
  3. अतिरिक्त बोनस: यह बोनस पहले जारी समाश्यासनो (एश्योरेंस) पर सेवा निवृत्ति की आयु में परिवर्तन के कारण दिया जाता है। यह मूल्यांकक (एक्ट्यूएरी) द्वारा निर्धारित गुणांक के आधार पर प्रदान किया जाता है।
  4. अन्य बोनस (यदि लागू हो): कभी-कभी विशेष परिस्थितियों में अतिरिक्त बोनस की घोषणा की जा सकती है।

ये बोनस कर्मचारियों को उनकी जमा राशि पर अतिरिक्त लाभ प्रदान करते हैं और योजना को आकर्षक बनाते हैं।

बोनस निर्धारण का आधार और प्रक्रिया:

बोनस निर्धारण के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसके तहत साल की प्राप्तियों, भुगतानों, ब्याज आय, और प्रबंधकीय व्यय के आधार पर संपत्तियों और दायित्वों की बैलेंस शीट तैयार की जाती है। यदि बैलेंस शीट में अधिशेष (सर्वप्लस) होता है, तो मूल्यांकक कुल बीमाधन के आधार पर प्रति हजार बीमाधन के लिए बोनस दर की सिफारिश करता है। इस सिफारिश के आधार पर राज्य सरकार बोनस की दर घोषित करती है, और उसी के अनुसार बीमाधन पर बोनस की गणना की जाती है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी वर्ष निधि में ₹10 करोड़ का अधिशेष होता है और कुल बीमाधन ₹100 करोड़ है, तो मूल्यांकक प्रति हजार बीमाधन पर ₹100 का बोनस सुझा सकता है। यह प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होती है।

क्या राज्य सरकार निधि में जमा राशि पर ब्याज देती है?

हाँ, निधि में जमा राशि पर राज्य सरकार द्वारा ब्याज दिया जाता है। वर्तमान में, राज्य सरकार के आदेश (क्रमांक एफ4(99)एफडी/राजस्व/92, दिनांक 17.04.2020) के अनुसार, यह ब्याज दर 7.5% वार्षिक है। यह ब्याज कर्मचारियों की जमा राशि को बढ़ाने में मदद करता है और योजना को और अधिक लाभकारी बनाता है।

क्या बीमा योजना में ऋण की सुविधा उपलब्ध है?

हाँ, योजना के तहत बीमेदार कुछ शर्तों के अधीन ऋण प्राप्त कर सकता है। यह सुविधा कर्मचारियों को आपात स्थिति में वित्तीय सहायता प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी को अचानक मेडिकल खर्च या अन्य जरूरत के लिए पैसे चाहिए, तो वह अपनी पॉलिसी के आधार पर ऋण ले सकता है।

अधिक कटौती किस आयु तक की जा सकती है?

अधिक प्रीमियम की कटौती 55 वर्ष की आयु तक की जा सकती है। इसका मतलब है कि कर्मचारी अपनी सेवा के दौरान 55 साल की उम्र तक अधिक बीमाधन के लिए अतिरिक्त प्रीमियम जमा कर सकता है। यह सुविधा उन कर्मचारियों के लिए उपयोगी है जो अपने भविष्य के लिए अधिक बचत करना चाहते हैं।

क्या बीमा ऋण पर ब्याज लिया जाता है?

हाँ, बीमा ऋण पर बीमेदार से ब्याज लिया जाता है। वर्तमान में, 01.04.2020 से लागू दर के अनुसार, यह ब्याज 7.5% वार्षिक है। नए बीमा नियमों के तहत निधि पर सेवा और ऋण प्रकरणों में लागू ब्याज दर को समान रखा गया है, जो निधि द्वारा अर्जित ब्याज के परिप्रेक्ष्य में संतुलन बनाए रखता है।

राज्य बीमा योजना में नाम निर्देशन किसे किया जाए?

बीमाकृत व्यक्ति अपने पति/पत्नी, संतान/संतानों, भाई, बहन, पिता या माता को नाम निर्देशिती के रूप में नियुक्त कर सकता है। यदि नाम निर्देशन के समय उल्लेखित कोई भी संबंधी जीवित नहीं है, तो वह किसी अन्य व्यक्ति को नामित कर सकता है।

हालांकि, यदि बीमाकृत व्यक्ति ने विवाह से पहले किसी को नामित किया था और विवाह के बाद उसमें बदलाव नहीं किया, तो विवाह के बाद वह नाम निर्देशन स्वतः रद्द माना जाएगा और उसका जीवनसाथी (पति/पत्नी) नामित माना जाएगा। यह नियम परिवार के हितों की रक्षा के लिए बनाया गया है।

परिपक्वता के बाद पॉलिसी जारी रखना

बीमाकृत व्यक्ति को सेवानिवृत्ति के बाद अगले 31 मार्च तक पॉलिसी को जारी रखने का विकल्प दिया जाता है। यदि वह ऐसा चुनता है, तो बीमाधन और विस्तारित अवधि का बोनस उसे सेवानिवृत्ति के बाद पहली अप्रैल को देय होगा। यह सुविधा उन कर्मचारियों के लिए उपयोगी है जो अपनी पॉलिसी को और लंबे समय तक चलाना चाहते हैं।

निष्कर्ष:

राज्य बीमा योजना राजस्थान सरकार की एक दूरदर्शी पहल है जो कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता प्रदान करती है। इसके तहत प्रीमियम कटौती, बीमाधन, बोनस, और ऋण जैसी सुविधाएँ कर्मचारियों के जीवन को आसान बनाती हैं। यह योजना न केवल उनके कार्यकाल के दौरान, बल्कि सेवानिवृत्ति और अप्रत्याशित परिस्थितियों में भी उनकी मदद करती है।

 

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