नई दिल्ली/जयपुर। केंद्र सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) देशभर के केंद्रीय कर्मचारियों के लिए लागू नहीं होगी। भले ही कई राज्यों ने OPS को बहाल कर दिया हो, लेकिन कर्मचारियों की जमा राशि अब भी न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के अंतर्गत ही रहेगी।
इसका सीधा मतलब है कि NPS में जमा राशि बीच में नहीं निकाली जा सकती, बल्कि कर्मचारियों को यह पैसा केवल सेवानिवृत्ति के समय ही मिलेगा।
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राजस्थान सहित 5 राज्यों की स्थिति
राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पंजाब की सरकारों ने हाल के वर्षों में OPS लागू करने का फैसला लिया था। लेकिन केंद्र सरकार ने लोकसभा में साफ कर दिया कि इन राज्यों के कर्मचारियों की जमा राशि अभी भी NPS खातों में ही अटकी हुई है।
📌 आंकड़े बताते हैं कि इन पांच राज्यों की कुल जमा राशि करीब 1.31 लाख करोड़ रुपये है।
- केवल राजस्थान के कर्मचारियों का लगभग 50,884 करोड़ रुपये
- शेष चार राज्यों का कुल मिलाकर करीब 80 हजार करोड़ रुपये
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क्यों नहीं निकाली जा सकती NPS की राशि?
कर्मचारी संगठनों के अनुसार –
- 1 जनवरी 2004 से केंद्र ने OPS बंद करके NPS लागू किया।
- इसके तहत हर महीने कर्मचारी के वेतन का 10% हिस्सा और सरकार का उतना ही योगदान NPS खाते में जमा होता है।
- जमा राशि पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के पास रहती है।
- इस राशि को किसी राज्य सरकार द्वारा OPS लागू करने के बाद भी वापस नहीं लिया जा सकता, क्योंकि इसके लिए कानूनी प्रावधान ही नहीं है।
यानी, OPS लागू होने के बावजूद कर्मचारियों का पुराना योगदान वहीं जमा रहेगा और उन्हें यह पैसा सिर्फ सेवानिवृत्ति के समय मिलेगा।
OPS बनाम NPS: केंद्र सरकार का बड़ा फैसला और राज्य कर्मचारियों की उलझन
OPS बहाली की मांग और केंद्र का रुख
पिछले कुछ वर्षों से देशभर में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर कर्मचारियों का आंदोलन तेज रहा है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पंजाब की सरकारों ने कर्मचारियों की मांग को ध्यान में रखते हुए OPS लागू करने का ऐलान किया। लेकिन केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि केंद्रीय कर्मचारियों के लिए OPS बहाल नहीं होगा और न ही राज्यों को NPS में जमा राशि वापस मिलेगी।
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राज्यों के कर्मचारियों की NPS में कितनी राशि फंसी है?
केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक:
- राजस्थान: 50,884 करोड़ रुपये
- छत्तीसगढ़: लगभग 25,000 करोड़ रुपये
- हिमाचल प्रदेश: लगभग 15,000 करोड़ रुपये
- झारखंड: लगभग 20,000 करोड़ रुपये
- पंजाब: लगभग 20,000 करोड़ रुपये
👉 इन पांचों राज्यों की कुल जमा राशि करीब 1.31 लाख करोड़ रुपये है।
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कर्मचारियों की प्रमुख चिंताएं
- गारंटीड पेंशन की मांग: OPS में आखिरी वेतन का 50% पेंशन मिलती थी, जबकि NPS पूरी तरह निवेश पर आधारित है।
- मार्केट रिस्क: NPS स्टॉक मार्केट और बॉन्ड मार्केट से जुड़ा है। ब्याज दर घटने या बाजार में गिरावट आने पर भविष्य की पेंशन प्रभावित हो सकती है।
- बीच में पैसा निकालने की दिक्कत: OPS में कोई योगदान नहीं देना होता था, लेकिन NPS में जमा राशि सेवानिवृत्ति से पहले नहीं निकाली जा सकती।
- आर्थिक सुरक्षा: OPS से कर्मचारियों को बुढ़ापे में आर्थिक स्थिरता मिलती थी, जबकि NPS में यह सुनिश्चित नहीं है।
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राज्यों पर OPS का बोझ
- वित्त विशेषज्ञों के अनुसार, अगर सभी राज्य OPS बहाल करते हैं तो राज्यों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा।
- OPS से राज्य सरकारों को हर साल पेंशन पर हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार उठाना पड़ेगा।
- NPS में योगदान बंद करने का मतलब है कि राज्य सरकारों को पेंशन का पूरा खर्च खुद वहन करना होगा।
- आने वाले वर्षों में यह राशि बजट घाटे को और बढ़ा सकती है।
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OPS बनाम NPS – विस्तृत तुलना
विशेषता OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम) | NPS (न्यू पेंशन स्कीम) | |
लागू वर्ष | 2004 से पहले | 2004 से अब तक |
पेंशन | आखिरी वेतन का 50% | जमा राशि + ब्याज पर आधारित |
योगदान | कर्मचारी का कोई योगदान नहीं | कर्मचारी 10% + सरकार योगदान |
पेंशन की गारंटी | हाँ (जीवनभर) | नहीं (बाजार पर आधारित) |
पारदर्शिता | सरकार पर निर्भर | ऑनलाइन ट्रैकिंग, पारदर्शिता |
राज्य पर बोझ | ज्यादा | कम (साझा योगदान) |
राजनीतिक असर
- OPS का मुद्दा केवल वित्तीय नहीं, बल्कि राजनीतिक भी है।
- राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकारों ने OPS लागू कर चुनावी फायदा उठाने की कोशिश की।
- कर्मचारी संगठनों ने भी OPS को चुनाव में निर्णायक मुद्दा बताया।
- लेकिन केंद्र सरकार का रुख साफ है कि वह NPS से पीछे नहीं हटेगी।
- ऐसे में आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा बड़ा रोल निभा सकता है।
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कर्मचारियों की प्रतिक्रियाएं
- कई कर्मचारी संगठनों ने OPS लागू करने की मांग को लेकर देशभर में आंदोलन किया।
- राजस्थान में शिक्षकों और कर्मचारियों ने कई बार बड़े धरने-प्रदर्शन किए।
- कर्मचारी संगठनों का कहना है कि NPS असुरक्षित है और OPS ही स्थायी समाधान है।
- वहीं, युवा कर्मचारियों का एक वर्ग यह भी मानता है कि NPS में निवेश का फायदा है क्योंकि लंबी अवधि में अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
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विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
आर्थिक जानकारों का मानना है कि:
- OPS राज्यों पर भारी बोझ डालेगा।
- NPS लंबी अवधि में कर्मचारियों को बेहतर और पारदर्शी पेंशन देने का विकल्प है।
- हालांकि, NPS को और आकर्षक बनाने के लिए सरकार को इसमें गारंटी पेंशन जैसे फीचर्स जोड़ने चाहिए।
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भविष्य की संभावनाएं
- OPS पूरी तरह वापसी की संभावना बेहद कम है।
- केंद्र सरकार NPS को ही और मजबूत बनाएगी।
- हो सकता है कि सरकार NPS में गारंटीड न्यूनतम पेंशन की घोषणा करे।
- राज्यों को भी भविष्य में OPS छोड़कर NPS पर ही वापस आना पड़ सकता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Q1. क्या केंद्रीय कर्मचारियों को OPS मिलेगा?
👉 नहीं, केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि OPS लागू नहीं होगा।
Q2. राजस्थान के कर्मचारियों की NPS राशि कितनी है?
👉 लगभग 50,884 करोड़ रुपये।
Q3. NPS का पैसा कब मिलेगा?
👉 केवल सेवानिवृत्ति के समय।
Q4. क्या NPS सुरक्षित है?
👉 NPS मार्केट आधारित है, इसलिए इसमें उतार-चढ़ाव रहता है, लेकिन लंबी अवधि में रिटर्न अच्छा होता है।
Q5. क्या OPS वापसी संभव है?
👉 राज्यों ने OPS लागू किया है, लेकिन NPS की जमा राशि वापस लेना संभव नहीं है। केंद्र सरकार OPS बहाली के पक्ष में नहीं है।—
निष्कर्ष
केंद्र सरकार का OPS पर रुख साफ है – केंद्रीय कर्मचारियों को OPS नहीं मिलेगा और राज्यकर्मियों की जमा राशि NPS से ही रिटायरमेंट पर दी जाएगी।
राज्यों ने OPS लागू कर राजनीतिक संदेश जरूर दिया है, लेकिन कर्मचारियों के लिए असली चुनौती यह है कि उनकी जमा राशि NPS में फंसी हुई है। ऐसे में कर्मचारियों को भविष्य की योजना NPS को ध्यान में रखते हुए ही बनानी चाहिए।
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