ऑनलाइन पोर्टल से बदलेगी व्यवस्था, अधिकारी-कर्मचारियों की पदोन्नति और जांचें अब डिजिटल
13 हजार से अधिक लंबित जांचें जल्द निपटेंगी, वर्षों का काम अब कुछ महीनों में होगा
जयपुर,26 अप्रैल 2025- राज्य सरकार ने कर्मचारियों और अधिकारियों की पदोन्नति प्रक्रिया को समयबद्ध और पारदर्शी बनाने के लिए एक नया डिजिटल कदम उठाया है। कार्मिक विभाग ने एक समर्पित पोर्टल तैयार किया है, जिसकी मदद से अब डीपीसी (पदोन्नति प्रक्रिया) और विभागीय जांचें पूरी तरह ऑनलाइन होंगी। इससे समय और संसाधनों की बचत होगी, साथ ही लम्बे समय से लंबित फाइलें भी तेजी से निपटाई जा सकेंगी। विभागीय जांचों में जहां पहले 2 से 3 साल लगते थे, अब यह प्रक्रिया 2 से 3 महीने में पूरी की जा सकेगी। यह जानकारी डीओपी सचिव के.के. पाठक और संयुक्त सचिव कनिष्ठ कटारिया ने एक राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में दी। यह योजना बजट में प्रस्तावित इंटीग्रेटेड ह्यूमन रिसोर्सेस सिस्टम का अहम हिस्सा है।
एक क्लिक से पूरी होगी पदोन्नति प्रक्रिया:
सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती है समय पर डीपीसी का न होना। इसके पीछे प्रमुख कारण मैनपावर की कमी और विभागीय व्यस्तता रही है। विभिन्न दस्तावेजों—जैसे एसीआर, सीनियॉरिटी लिस्ट और आईपीआर—की जांच में काफी समय लगता था। अब ये सभी दस्तावेज कर्मचारियों की एम्प्लाई आईडी से जुड़कर पोर्टल पर अपलोड होंगे। डीपीसी की बैठक भी अब ऑनलाइन माध्यम से होगी, जिसमें सभी रिकॉर्ड एक क्लिक पर उपलब्ध होंगे और संबंधित अधिकारियों की टिप्पणियां व प्रतिक्रियाएं भी पोर्टल के जरिए ही दर्ज होंगी। इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और समयबद्ध प्रमोशन सुनिश्चित हो सकेगा।
- संबंधित कर्मचारी को अपने पक्ष से जुड़े सभी दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड करने होंगे।
- जांच अधिकारी उन्हें ऑनलाइन ही देख और जांच सकेंगे, आवश्यकता होने पर अतिरिक्त जानकारी की मांग भी पोर्टल के माध्यम से ही करेंगे।
- नोटिस या समन जैसी कानूनी बाधाएं भी खत्म हो जाएंगी क्योंकि अब जांच में शामिल होना कर्मचारी की स्वयं की जिम्मेदारी होगी।
जांच में भी होगी तेजी और जवाबदेही:
राज्य में वर्तमान में 13 हजार से ज्यादा विभागीय जांचें लंबित हैं, जिनमें से कई वर्षों से अटकी हुई हैं। अब इन जांचों को भी पोर्टल के माध्यम से निष्पादित किया जाएगा। संबंधित कर्मचारी को अपनी ओर से दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड करने होंगे, जिसे जांच अधिकारी ऑनलाइन ही देख सकेंगे और यदि आवश्यक हो तो स्पष्टीकरण या अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग पोर्टल के माध्यम से ही करेंगे। कई बार नोटिसों की डिलीवरी में होने वाली देरी के कारण कार्रवाई लंबित रह जाती थी, लेकिन डिजिटल माध्यम से यह जिम्मेदारी अब जांच के घेरे में आए कर्मी की होगी कि वह समय पर जवाब दे और प्रक्रिया में भाग ले।
विभागीय जांचें होंगी त्वरित और प्रभावी:
राज्य में 13,000 से अधिक विभागीय जांचें ऐसी हैं, जो बीते कई वर्षों से लंबित हैं। इन मामलों में अक्सर जांच प्रक्रिया नोटिस तामील, दस्तावेज एकत्र करने और जवाब प्राप्त करने जैसी प्रक्रियाओं में फंसकर वर्षों तक अटक जाती है।
क्या बदलेगा इस पहल से?
- मैनपावर पर निर्भरता घटेगी
- समयबद्ध प्रमोशन सुनिश्चित होंगे
- लंबित जांचों का शीघ्र निपटारा होगा
- प्रणाली अधिक जवाबदेह और पारदर्शी होगी
- कर्मचारी संतुष्टि और विश्वास में वृद्धि होगी
समयबद्ध समाधान की दिशा में एक कदम:
यह नया पोर्टल वन स्टॉप सॉल्यूशन की तरह कार्य करेगा, जिससे कर्मचारियों की बार-बार की जाने वाली शिकायतें, जैसे कि पदोन्नति में देरी या जांच का निष्कर्ष न आना, प्रभावी ढंग से हल की जा सकेंगी। इस व्यवस्था से राज्य प्रशासन की दक्षता और पारदर्शिता दोनों में इजाफा होगा।