राजस्थान में प्रारंभिक शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम: समग्र शिक्षा द्वारा होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड और योगात्मक आकलन पर जोर

जयपुर, 17 अप्रैल 2025: राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् ने सत्र 2024-25 के लिए प्रारंभिक शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करने और विद्यार्थियों के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। समग्र शिक्षा, राजस्थान के गुणवत्ता एवं प्रशिक्षण प्रकोष्ठ द्वारा जारी एक हालिया सूचना के अनुसार, कक्षा 1 और 2 के विद्यार्थियों के लिए योगात्मक आकलन (Summative Assessment) की प्रक्रिया को और अधिक व्यवस्थित और प्रभावी बनाने के लिए शाला दर्पण पोर्टल पर ऑनलाइन मॉड्यूल में डेटा दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। इस पहल के तहत, योगात्मक आकलन (SA 1, SA 2, और SA 3) के आधार पर होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड तैयार किए जाएंगे, जो विद्यार्थियों के अभिभावकों को उपलब्ध कराए जाएंगे। यह कदम न केवल शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा देगा, बल्कि बच्चों के समग्र विकास को मापने और बेहतर बनाने में भी मदद करेगा।

होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड: एक नई दिशा

होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड (Holistic Progress Card) का उद्देश्य विद्यार्थियों की शैक्षिक प्रगति को केवल अंकों के आधार पर नहीं, बल्कि उनकी समग्र क्षमताओं, कौशलों, और व्यक्तित्व विकास के आधार पर आंकना है। यह कार्ड नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुरूप तैयार किया गया है, जो बच्चों के समग्र विकास को प्राथमिकता देती है। इस कार्ड में न केवल शैक्षिक उपलब्धियां, बल्कि सामाजिक-भावनात्मक विकास, रचनात्मकता, शारीरिक गतिविधियां, और नैतिक मूल्यों जैसे पहलुओं को भी शामिल किया गया है।समग्र शिक्षा द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड तैयार करने के लिए शिक्षकों को विद्यार्थियों के प्रदर्शन को विभिन्न योगात्मक आकलनों (SA 1, SA 2, और SA 3) के आधार पर दर्ज करना होगा। ये आकलन बच्चों की बुनियादी साक्षरता, संख्यात्मक कौशल, और अन्य विषय-विशिष्ट योग्यताओं को मापने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, यह कार्ड अभिभावकों को उनके बच्चों की प्रगति और कमजोरियों के बारे में स्पष्ट जानकारी प्रदान करेगा, ताकि वे घर पर भी बच्चों का समर्थन कर सकें।

शाला दर्पण: डिजिटल शिक्षा का आधार

राजस्थान सरकार ने शाला दर्पण पोर्टल को शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में स्थापित किया है। इस पोर्टल के माध्यम से, शिक्षक और प्रशासक विद्यार्थियों की प्रगति को ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं, जिससे डेटा का केंद्रीकृत और व्यवस्थित प्रबंधन संभव हो सके। योगात्मक आकलन की प्रविष्टियों को शाला दर्पण पर दर्ज करने का निर्देश सभी अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयकों (ADPCs) को दिया गया है।इस प्रक्रिया में, प्रत्येक विद्यार्थी के प्रदर्शन को विस्तार से दर्ज किया जाएगा, जिसमें उनकी शैक्षिक उपलब्धियां, कमजोर क्षेत्र, और सुधार के लिए सुझाव शामिल होंगे। यह डिजिटल पहल न केवल समय की बचत करेगी, बल्कि शिक्षकों और अभिभावकों के बीच संवाद को भी मजबूत करेगी। शाला दर्पण पोर्टल के उपयोग से, शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर नज़र रखी जाए और आवश्यकता पड़ने पर समय पर हस्तक्षेप किया जाए।

वर्तमान प्रगति: चिंताजनक स्थिति

सूचना के अनुसार, राजस्थान के विभिन्न जिलों में अब तक की प्रगति की समीक्षा की गई है, और परिणाम चिंताजनक हैं। योगात्मक आकलन SA 1 और SA 2 की प्रविष्टियों का औसतन 10 प्रतिशत से भी कम दर्ज किया गया है। यह स्थिति शिक्षा विभाग के लिए एक चुनौती के रूप में सामने आई है। कम प्रगति के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे शिक्षकों का तकनीकी प्रशिक्षण की कमी, संसाधनों की अनुपलब्धता, या जागरूकता का अभाव।इस स्थिति को सुधारने के लिए, शिक्षा विभाग ने सभी ADPCs को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में प्रगति के अनुसार तत्काल कार्यवाही करें। इसके लिए, शिक्षकों को तकनीकी सहायता प्रदान करने, प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने, और डेटा प्रविष्टि की प्रक्रिया को सरल बनाने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं। शिक्षा विभाग का लक्ष्य है कि सभी विद्यालय शीघ्र ही शाला दर्पण पर डेटा दर्ज करें, ताकि होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड समय पर तैयार किए जा सकें।

SA 3: कौशल आधारित प्रश्न पत्र

सत्र 2024-25 के अंतर्गत, अप्रैल माह में कक्षा 1 और 2 के लिए तीसरा योगात्मक आकलन (SA 3) आयोजित किया जाएगा। इस आकलन के लिए, समग्र शिक्षा ने कौशल आधारित प्रश्न पत्र तैयार किए हैं, जो QR कोड के माध्यम से सभी विद्यालयों तक पहुंचाए गए हैं। ये प्रश्न पत्र बच्चों की बुनियादी साक्षरता, गणितीय कौशल, और तार्किक क्षमताओं को मापने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।इन प्रश्न पत्रों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चे केवल रटने पर निर्भर न रहें, बल्कि वे अपनी समझ और कौशल को वास्तविक जीवन की समस्याओं से जोड़ सकें। उदाहरण के लिए, गणित के प्रश्न पत्र में बच्चों से रोज़मर्रा की ज़िंदगी से संबंधित गणनाएं करने को कहा जा सकता है, जैसे कि बाज़ार में खरीदारी के दौरान हिसाब-किताब। इसी तरह, भाषा के प्रश्न पत्र में कहानी लेखन, चित्र वर्णन, और संवाद लेखन जैसे रचनात्मक कार्य शामिल हो सकते हैं।शिक्षा विभाग ने सभी ADPCs को निर्देश दिए हैं कि वे इन प्रश्न पत्रों और संबंधित दिशा-निर्देशों को सभी विद्यालयों तक अनिवार्य रूप से पहुंचाएं। इसके लिए, विभाग ने एक लिंक भी साझा किया है, जिसमें होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड और SA 3 के दिशा-निर्देश विस्तार से दिए गए हैं। यह लिंक है: https://drive.google.com/file/d/11m9wTramGTK1rPrBKcN49MYsbSpvTkRh/view?usp=sharing

शिक्षा में समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता

होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड और योगात्मक आकलन की यह पहल राजस्थान की प्रारंभिक शिक्षा प्रणाली में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती है। यह पहल न केवल बच्चों की शैक्षिक प्रगति को मापने में मदद करेगी, बल्कि उनके समग्र विकास को भी प्रोत्साहित करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की पहलें बच्चों में आत्मविश्वास, रचनात्मकता, और समस्या-समाधान की क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।हालांकि, इस पहल की सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है। सबसे पहले, शिक्षकों को तकनीकी और शैक्षिक प्रशिक्षण प्रदान करना होगा, ताकि वे शाला दर्पण पोर्टल का प्रभावी उपयोग कर सकें। इसके अलावा, अभिभावकों को भी इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करना होगा, ताकि वे अपने बच्चों की प्रगति को समझ सकें और उनका समर्थन कर सकें।

चुनौतियां और समाधान

इस पहल के सामने कई चुनौतियां भी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी और तकनीकी संसाधनों की कमी है, शाला दर्पण पर डेटा दर्ज करना एक कठिन कार्य हो सकता है। इसके लिए, शिक्षा विभाग को ऑफलाइन डेटा प्रविष्टि के विकल्प और मोबाइल आधारित समाधान प्रदान करने होंगे।इसके अलावा, शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान देना होगा। कई शिक्षक अभी भी पारंपरिक शिक्षण विधियों पर निर्भर हैं और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में असहज महसूस करते हैं। ऐसे में, नियमित कार्यशालाओं और सहायता केंद्रों की स्थापना आवश्यक है।अभिभावकों की जागरूकता भी एक महत्वपूर्ण कारक है। कई अभिभावक, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड के महत्व को नहीं समझ पाते। इसके लिए, विद्यालयों को अभिभावक-शिक्षक बैठकों और जागरूकता अभियानों का आयोजन करना चाहिए।

आगे की राह

राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् की यह पहल निश्चित रूप से प्रारंभिक शिक्षा में गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो यह न केवल बच्चों की शैक्षिक प्रगति को बढ़ाएगा, बल्कि शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी सुनिश्चित करेगा।शिक्षा विभाग ने सभी ADPCs से अपील की है कि वे इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लें और अपने जिलों में प्रगति को गति दें। इसके लिए, विभाग ने समय-सीमा निर्धारित की है, ताकि SA 3 के आकलन और होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड की प्रक्रिया समय पर पूरी हो सके।

निष्कर्ष

राजस्थान में प्रारंभिक शिक्षा को सशक्त बनाने की दिशा में समग्र शिक्षा की यह पहल एक स्वागत योग्य कदम है। होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड और योगात्मक आकलन के माध्यम से, शिक्षा विभाग न केवल बच्चों की प्रगति को मापेगा, बल्कि उनके समग्र विकास को भी प्रोत्साहित करेगा। यह पहल नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।हालांकि, इस पहल की सफलता के लिए सभी हितधारकों—शिक्षकों, अभिभावकों, और प्रशासकों—का सहयोग आवश्यक है। यदि सभी मिलकर इस दिशा में काम करें, तो राजस्थान की प्रारंभिक शिक्षा प्रणाली न केवल राष्ट्रीय, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक मॉडल बन सकती है।संपर्क: गुणवत्ता एवं प्रशिक्षण प्रकोष्ठ, समग्र शिक्षा, राजस्थान।

दिशा-निर्देश लिंक: https://drive.google.com/file/d/11m9wTramGTK1rPrBKcN49MYsbSpvTkRh/view?usp=sharing

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