तृतीय श्रेणी शिक्षक पदोन्नति मामला 2025 — सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 10 सितंबर

तृतीय श्रेणी शिक्षक पदोन्नति मामला 2025 — सुप्रीम कोर्ट सुनवाई 10 सितंबर

तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पदोन्नति पर फैसला जल्द – 5 साल से अटका मामला, 40 हजार से ज्यादा पद खाली

10 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी अहम सुनवाई

40,000+ रिक्त पद
10 सितंबर • सुप्रीम कोर्ट
तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पदोन्नति (DPC) से संबंधित मामला, जो पिछले 5 साल से राजस्थान में अटका हुआ है, अब सुप्रीम कोर्ट में 10 सितंबर 2025 को होने वाली सुनवाई के साथ जल्द ही निपटने की उम्मीद है। इस मामले में सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) को वापस लेने का नीतिगत निर्णय लिया गया है, जिससे करीब 20,000 शिक्षकों को वरिष्ठ अध्यापक के पद पर पदोन्नति का रास्ता साफ हो सकता है। इससे न केवल शिक्षकों को लाभ होगा, बल्कि खाली होने वाले तृतीय श्रेणी के 20,000 पदों पर नई भर्तियां भी संभव हो सकेंगी।
हालांकि, कुछ स्रोतों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में भी तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पदोन्नति में टीईटी (Teacher Eligibility Test) की अनिवार्यता को लेकर विवाद सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, जो 62,229 शिक्षकों की पदोन्नति को प्रभावित कर रहा है। राजस्थान के संदर्भ में, 40,000 से ज्यादा पद खाली होने की बात सामने आई है, जिसमें वरिष्ठ अध्यापक के 1,09,542 स्वीकृत पदों में से 37,249 और स्कूल व्याख्याता के 57,194 पदों में से 18,651 पद रिक्त हैं।
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राजस्थान के शिक्षा विभाग में तृतीय श्रेणी (3rd Grade) शिक्षकों की पदोन्नति का मामला पिछले 5 वर्षों से लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर 10 सितंबर 2025 को सुनवाई तय की है। इस फैसले से हजारों शिक्षकों के साथ-साथ लाखों विद्यार्थियों के भविष्य पर असर पड़ेगा।

मामले का विस्तृत विवरण

वर्ष 2021 में नियम बदले गए — केवल उन शिक्षकों को पदोन्नति का अधिकार दिया गया जो अपने मौजूदा विषय में पढ़ा रहे थे। इसके चलते जिन शिक्षकों ने एडिशनल (additional) विषयों में डिग्री ली थी, वे पदोन्नति के हक़दार होने का दावा कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने कुछ मामलों में एडिशनल वाले शिक्षकों के पक्ष में आदेश दिए, पर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिससे मामला लंबित है।

कितने पद दांव पर हैं?

2022-23 से 2024-25 (लंबित):
19,372 पद (पदोन्नति लंबित)
2025-26 जोड़कर (अनुमान):
कुल ~25,000 विवादित पद
कुल रिक्त वरिष्ठ अध्यापक:
40,000+ पद
प्रभावित छात्र:
मुख्य रूप से कक्षा 9वीं-10वीं के लाखों विद्यार्थी

एडिशनल डिग्री की होड़ — कारण और प्रभाव

वृद्धि हुई प्रतिस्पर्धा के चलते कई शिक्षक B.Ed., M.A., M.Sc., M.Com इत्यादि अतिरिक्त विषय की डिग्रियाँ ले रहे हैं ताकि वे वरिष्ठ अध्यापक के लिए पात्र बन सकें। इसका सकारात्मक पहलू यह है कि शिक्षकों की शैक्षणिक दक्षता बढ़ती है; नकारात्मक पहलू यह है कि नियमों की अस्पष्टता और कोर्ट विवाद से पदोन्नति प्रक्रिया थम जाती है और रिक्तियों के कारण स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

फैसले का संभावित असर

  • छात्रों पर असर: विषयवार योग्य अध्यापकों की कमी से 9वीं-10वीं का विषय शिक्षण प्रभावित होगा।
  • शिक्षकों पर असर: लगभग 25,000 शिक्षक पदोन्नति के इंतजार में हैं — रोजगार, वेतन और करियर ग्रोथ प्रभावित होगी।
  • प्रशासन पर असर: रिक्तियों को भरने के लिए तात्कालिक भर्ती या तात्कालिक तैनाती की आवश्यकता बढ़ेगी, जो शिक्षा गुणवत्ता पर असर डाल सकती है।

फैक्ट फाइल

मुद्दा विवरण
अटकी अवधि 5 साल
अगली सुनवाई 10 सितंबर 2025 (Supreme Court)
विवादित पद ~25,000
कुल रिक्त पद 40,000+
मुख्य प्रभाव कक्षा 9-10 के लाखों छात्र और हजारों शिक्षक

FAQs

1. सुनवाई का परिणाम कब तक आ सकता है?

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद भी अंतिम निर्णय में कुछ समय लग सकता है — अदालत के आदेश और संबंधित प्रशासनिक प्रक्रियाओं के अनुसार लागू समय भिन्न हो सकता है।

2. एडिशनल विषय वालों को क्या फायदा होगा?

अगर कोर्ट एडिशनल डिग्री वाले शिक्षकों के पक्ष में फैसला देता है, तो वे भी पदोन्नति के पात्र बन सकते हैं, जिससे उनका कैरियर और वेतन प्रभावित होगा।

3. छात्रों के शैक्षणिक नुकसान को कम कैसे किया जा सकता है?

अस्थायी नियुक्ति, विषय-विशेष अतिथि शिक्षक, ऑनलाइन ट्यूटरिंग और शीघ्र भर्ती प्रक्रियाएं कुछ संभावित उपाय हैं।

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