खुश खबरी:पदोन्नति के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस लेगी, ग्रेड थर्ड टीचरों के प्रमोशन और 20 हजार पदों पर भर्ती होगी

जयपुर,01 जून 2025 – प्रदेश में पिछले 5 साल से अटकी तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पदोन्नति(DPC)की प्रक्रिया जल्दी शुरू होने के आसार हैं। इनकी पदोन्नति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में सरकार एप्लीकेशन देकर एसएलपी(SLP) वापस लेगी। सरकार के स्तर पर इस पर नीतिगत निर्णय हो चुका है।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि करीब 20 हजार शिक्षकों को वरिष्ठ अध्यापक के पद पर पदोन्नति के बाद खाली होने वाले 20 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के पदों पर नए सिरे से भर्ती की जा सकेगी। इससे प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को फायदा होगा। साथ ही सरकार 10 साल बाद स्कूलों में स्टाफिंग पैटर्न(Staffing Pattern) भी लागू कर सकेगी। इससे नामांकन की संख्या के हिसाब से स्कूलों को पद दिए जा सकेंगे।

वर्तमान में जारी स्कूल व्याख्याता और वरिष्ठ अध्यापक भर्ती में भी पद बढ़ाएं जाएंगे।

इस बारे में शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल का कहना है कि तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पदोन्नति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही एसएलपी पर सरकार ने नीतिगत निर्णय ले लिया है।

अब एक एप्लीकेशन देकर सुप्रीम कोर्ट से मामला वापस लिया जाएगा। इससे तृतीय श्रेणी शिक्षकों की पदोन्नति हो सकेगी। इस पदोन्नति से करीब 20 हजार पद खाली होंगे, जिन पर नई भर्ती हो सकेगी। कुणाल ने बताया है कि शिक्षा विभाग में 21 हजार पदों पर भर्तियां प्रक्रियाधीन हैं। जो भर्तियां पाइप लाइन में हैं उनको लेकर मुख्यमंत्री ने 31 मार्च 2026 तक रिक्त होने वाले पदों को ध्यान में रखते हुए 50 प्रतिशत पद जोड़ने की अनुमति दी है। इससे प्रक्रियाधीन भर्तियों में पद बढ़ाए जा सकेंगे।

उन्होंने कहा कि भर्ती एक लंबी प्रक्रिया है। अगर आज कोई भर्ती शुरू होती है तो 1 साल बाद रिजल्ट आता है। ऐसे में 31 मार्च 2026 के हिसाब से रिजल्ट आते-आते 2027 हो जाएगा। इसलिए शिक्षा विभाग की भर्तियों में एडवांस में 50 प्रतिशत पद जोड़े जा रहे हैं। इसका इम्पैक्ट ग्रेड थर्ड टीचर पर भी आएगा।

शिक्षा सचिव का कहना है कि आखिरी बार स्टाफिंग पैटर्न साल 2014 में किया गया था। इसलिए इस बार स्टाफिंग पैटर्न कर रहे हैं। वर्तमान में नए-नए कैडर क्रिएट हो गए हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार वैकेंसी तैयार की जा रही है।

सरकार का ठोस नीतिगत निर्णय

राज्य सरकार ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण नीतिगत फैसला लिया है। यदि भविष्य में कोई नई भर्ती प्रक्रिया की मांग पूरी होगी। इस फैसले के तहत, 31 मार्च 2026 तक रिक्त होने वाले पदों को ध्यान में रखते हुए 20 हजार पद स्वीकृत खाली होंगे। शिक्षा विभाग ने इस प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए सभी बाधाओं को दूर करने का प्रयास किया है, जिसमें शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल की अहम भूमिका रही है।

शिक्षकों को मिलेगा उनका हक
शिक्षा सचिव ने कहा कि यह फैसला तृतीय श्रेणी शिक्षकों को उनका उचित सम्मान दिलाएगा। लंबे समय से रिक्त पड़े इन पदों को भरने की मांग अब पूरी होगी। साथ ही, इस प्रक्रिया से शिक्षकों को बेहतर वेतन और अवसर भी प्राप्त होंगे। यह कदम न केवल शिक्षकों के लिए बल्कि राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए भी एक बड़ा कदम साबित होगा।

आरपीएससी 4431 पदों पर करेगी भर्ती

वरिष्ठ अध्यापक के 2129 और व्याख्याता के 2202 पदों पर राजस्थान लोक सेवा आयोग भर्ती करने जा रही है। लेकिन इसके बाद भी हजारों पद खाली रह जाएंगे। इन्हें लंबित डीपीसी से भरा जाएगा। जबकि प्रदेश में वरिष्ठ अध्यापक के 1 लाख 9 हजार 542 स्वीकृत पदों में से 37 हजार 249 पद खाली हैं। बावजूद इसके शिक्षा विभाग ने आरपीएससी के माध्यम से महज 2 हजार 129 पदों पर ही भर्ती प्रक्रिया शुरू की है। इसी तरह स्कूल व्याख्याता के 57 – हजार 194 पदों में से 18 हजार 651 पद खाली हैं। लेकिन सिर्फ 2 हजार 202 पदों पर ही भर्ती प्रस्तावित है। इसे लेकर शिक्षक संगठनों ने भी ज्यादा पदों पर भर्ती की मांग की है।

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