ओपीएस से पीछे हट रही सरकार, फिर एनपीएस का रास्ता खोला वित्त विभाग का आदेशः दीपावली से पहले कर्मचारियों को झटका

OPS से पीछे हट रही सरकार, फिर NPS का रास्ता खोला

वित्त विभाग का आदेश: दीपावली से पहले कर्मचारियों को झटका

जयपुर: राजस्थान सरकार ने एक बार फिर पुरानी पेंशन योजना (OPS) से कदम पीछे खींच लिए हैं और स्वायत्तशासी संस्थाओं, बोर्ड, निगम, विश्वविद्यालयों व राजकीय उपक्रमों के कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना (NPS) का रास्ता फिर से खोल दिया है। यह आदेश दीपावली से ठीक पहले जारी हुआ है, जिससे हजारों कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ गई है।


क्या कहा वित्त विभाग ने?

वित्त विभाग ने कहा है कि वित्तीय रूप से स्वायत्तशासी संस्थाएं (Autonomous Bodies) अब अपने कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए OPS की बजाय NPS व्यवस्था में रहेंगी। इन संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारियों की पेंशन राशि और ब्याज अब संबंधित संस्थाएं स्वयं जमा करेंगी।

विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि पेंशन की देनदारी अब राज्य सरकार नहीं उठाएगी, बल्कि संस्थाएं स्वयं अपने कर्मचारियों की अंशदान राशि और देनदारियां जमा करेंगी।


किस-किस पर लागू होगा आदेश?

  • राज्य के बोर्ड
  • निगम
  • विश्वविद्यालय
  • राजकीय उपक्रम
  • स्वायत्तशासी संस्थाएं

इन सभी संस्थाओं के कर्मचारियों को OPS से हटाकर NPS में शामिल किया जाएगा।


20 अप्रैल 2023 का आदेश और अब का बदलाव

20 अप्रैल 2023 को जारी आदेश के तहत स्वायत्तशासी संस्थाओं के कर्मचारियों को OPS का लाभ देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। अब वित्त विभाग ने नया आदेश जारी कर उस पर रोक लगा दी है और कहा है कि OPS केवल राज्य सरकार के नियमित कर्मचारियों तक ही सीमित रहेगा।

एनपीएस की राशि को लेकर चला विवाद

राज्य कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू किए जाने के बाद पीएफआरडीए में जमा एनपीएस की राशि लौटाने को लेकर राज्य व केन्द्र सरकार के बीच लंबा विवाद चला। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कई अर्थशास्त्रियों ने ओपीएस लागू किए जाने पर सवाल उठाए।


वित्त विभाग का तर्क

वित्त विभाग का कहना है कि OPS लागू करने से राज्य की वित्तीय स्थिति पर बड़ा असर पड़ सकता है। इसलिए जहां संस्थाएं आर्थिक रूप से स्वायत्त हैं, उन्हें अपनी पेंशन जिम्मेदारी खुद उठानी होगी।

विभाग ने यह भी कहा कि इन संस्थाओं द्वारा कर्मचारियों की अंशदान राशि और ब्याज सहित पेंशन से जुड़ी समस्त राशि संबंधित खाते में नियमित रूप से जमा की जानी चाहिए।


कर्मचारी संगठनों में नाराजगी

राज्य के विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने इस आदेश का विरोध करते हुए कहा है कि यह कर्मचारियों के साथ अन्याय है। OPS की उम्मीद लगाए बैठे हजारों कर्मचारियों को अब फिर से NPS में भेज दिया गया है।

कर्मचारी नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया तो आंदोलन की राह अपनाई जाएगी।


पुरानी व्यवस्था की शुरुआत

वित्त विभाग ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि स्वायत्तशासी संस्थाएं, बोर्ड, निगम, विश्वविद्यालय इत्यादि 20 अप्रैल 2023 से पहले की स्थिति में वापस लौटेंगी, यानी फिर से नई पेंशन योजना (NPS) लागू होगी।

यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा और सभी संबंधित संस्थाओं को इसकी अनुपालना करनी होगी।

“वित्त विभाग का आदेश बोर्ड, निगम, विश्वविद्यालय व राजकीय उपक्रम सहित स्वायत्तशासी संस्थाओं आदि में पुरानी पेंशन योजना को खत्म कर 20 अप्रैल 2023 से पूर्व की एनपीएस. सीपीएफ वाली पेंशन शुरू करने की शुरुआत है। महासंघ इसकी कड़ी निंदा कर मांग करता है कि आदेश को तत्काल निरस्त किया जाए एवं जिन संस्थाओं की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ नहीं है उनको कर्मचारी हित में आर्थिक सहायता प्रदान कर ओपीएस लागू रखी जाए।”

गजेन्द्र सिंह राठौड़, प्रदेशाध्यक्ष अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत)


निष्कर्ष:

राजस्थान सरकार द्वारा OPS पर लिया गया यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। OPS को लेकर कर्मचारियों में जहां नाराजगी है, वहीं सरकार वित्तीय बोझ का हवाला दे रही है। दीपावली से पहले आया यह फैसला राज्यभर में नए विवाद को जन्म दे चुका है।


📰 स्रोत: पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क | रिपोर्ट संकलन: TeachersRaj.com

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